अगर तुम मिल जाओ

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भोपाल , सुबह के समय कमरे मे हर तरफ बस  अंधेरा ही अंधेरा नज़र आरहा था। बीचो बीच एक बल्ब लगा हुआ था जिसकी रौशनी एकदम ना के बराबर थी। फिर भी ये नज़र आरहा था की वहा कोई शख्स मौजूद है। उस शख्स की परछाई ही ...
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