कितने पाकिस्तान (कमलेश्वर)

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यह उपन्यास मन के भीतर लगातार चलने वाली एक जिरह का नतीजा है। दशकों तक सभी कुछ चलता रहा। मैं कहानियाँ और कॉलम लिखता रहा। नौकरियाँ करता और छोड़ता रहा। टीवी के लिए कश्मीर के आतंकवाद और अयोध्या की बाबरी ...
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