बिन फेरे हम तेरे ....

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बाहर मूसलाधार बारिश के साथ जोरदार बिजली कड़क रही थी, हवा के तेज झोंके रह-रहकर बारिश की दिशा बदल देते बारिश का शोर इतना तेज था कि सामान्य आवाजें भी ठीक से सुनाई नहीं दे रही थी । अभी 3:00 ही बजे हैं पर काली घटाओं ने ऐसा डेरा डाला कि रात का आभास होने लगा । एक एक करके सभी स्टूडेंट चले जा रहे थे। सड़कों पर गाड़ियों का आवागमन लगभग बंद हो चुका था और सड़के सुनसान हो गई थी । सीमा के चेहरे पर परेशानी उभर कर आने लगी , एक प्रभात ही था जो बिना कुछ कहे सुने सीमा से थोड़ी दूरी बना कर बैठा था । इस बात से सीमा ...
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